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करीम रज़ा का अनूठा वंशवृक्ष, इन्टरनेशनल बुक ऑफ रिकॉर्ड में हुआ दर्ज

ग़ाज़ीपुर। जहाँ लोग अपने बाप-दादा से ऊपर परदादा, लकड़दादा एवं पूर्वजों के नाम भूलते जा रहे हैं वहीं आज के दौर में कुछ ऐसे लोग भी हैं जो अपने पूर्वजों, कूल, ख़ानदान, कुन्बे का इतिहास, वंशवृक्ष, वंशावली, शज़रा संरक्षित कर, तैयार करने के प्रति नई पीढ़ी में जागरुकता लाकर संदेश देने का काम कर रहे हैं। ऐसे हैं जनपद ग़ाज़ीपुर में दिलदारनगर के सेवानिवृत्त शिक्षक, 80 वर्षीय मुहम्मद करीम रज़ा ख़ाँ जिन्होंने अपने ऐतिहासिक पारिवारिक विरासत की वंशवृक्ष (फैमिल ट्री) वंशावली को संकलित, संरक्षित एवं संजोकर तथा प्रदर्शित कर नायाब एवं अनूठा कारनामा अंजाम दिया है। अगर इनके पारिवारिक वंशावली पर एक नज़र डालें तो “एक पृष्ठ-एक दृष्टि वाली वंशवृक्ष” में सम्मिलित पुरुषों की संख्या 331 तथा वंशवृक्ष में सम्मिलित संकेत के अनुसार महिलाओं की संख्या 295 दर्ज किये गए हैं जो अंको में दर्शाया गई है। इस तरह कुल महिलाओं-पुरूषों की संख्या 626 दर्ज किया है। वंशवृक्ष की विशेषता यह है कि पिछले चार सौ वर्षों में संकेत चिन्ह के माध्यम से उन व्यक्तियों को भी दर्शाया गया है जिनकी बचपन में एवं विवाह से पूर्व यानि युवाकाल में मृत्यु हो चुकी है। यह एक जबरदस्त शोध परक वंशवृक्ष तैयार किया गया है, जिसे हिन्दु-मुस्लिम एकता तथा मुस्लिमों के भारतीय होने और अपने जड़ से जुड़े होने के पक्के सबूत को दर्शाती है। पिछले लगभग 400 वर्ष से लेकर 15 जुलाई, सन् 2006 ई० तक जन्म लिए गए बच्चों को इस वंशवृक्ष में शामिल किया गया है। यह वंशवृक्ष उत्तर प्रदेश के जनपद ग़ाज़ीपुर में परगना ज़मानिया के जागीरदार तथा दिलदारनगर के संस्थापक कुँअर नवल सिंह उर्फ मुहम्मद दीनदार ख़ाँ के दादा कुँअर ख़र सिंह सिकरवार क्षत्रिय, ग्राम समहुता, खरहना, अंचल मोहनियां, भभुुआ, कैमूर बिहार से प्रारंभ होता है। कुँअर ख़र सिंह के वर्तमान में चौदहवीं पीढ़ी/पुश्त का जन्म हो चुका है। संकलनकर्ता मुहम्मद करीम रज़ा ख़ाँ मुहम्मद दीनदार ख़ाँ के नौवीं वंशज हैं। इन्होंने अपने से आठवीं पूर्वज ऊपर तथा पाँचवीं पीढ़ी नीचे तक की पारिवारिक वंशावली तैयार किया है। कुल अपने समकालीन चौदह पीढ़ियों का पारिवारिक वंशवृक्ष दर्शाया है। शिक्षक मुहम्मद करीम रज़ा ने यह भारतीय पारिवारिक वंशवृक्ष “एक पृष्ठ-एक दृष्टि” में संजोकर, लिखकर, तैयार कर मिसाल क़ायम किया है एवं अपने पूर्वजों के प्रति सच्ची श्रद्धा-सुमन अर्पित किया है तथा ऐतिहासिक कीर्तिमान स्थापित किया है और आने वाली पीढ़ियों के लिए ऐतिहासिक पाण्डुुलिप सौंप दिया है। वंशवृक्ष के साज-सज्जा तथा सहयोग में शिक्षक करीम रज़ा ख़ाँ के एकलव्य पुत्र कुँअर नसीम रज़ा ख़ाँ सिकरवार संस्थापक एवं निदेशक अल दीनदार शम्सी म्यूज़ियम एंड लाइब्रेरी द्वारा अधिकृत रूप से जारी किया गया था। इस पारिवारिक वंशावली का प्रथम बार 22 जनवरी सन् 2020 ई० को सुभाष भवन, लमहीं, वाराणसी में एक राष्ट्रीय कार्यक्रम के द्वारा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सदस्य इंद्रेश कुमार ने विधिवत रूप से इस भारतीय मुस्लिम परिवार के वंशवृक्ष का विमोचन किया था, जिसे वाराणसी एवं ग़ाज़ीपुर के प्रमुख राष्ट्रीय समाचार-पत्रों ने ‘दीनदार ख़ान का कुन्बा, वंशावली बना रोल मॉडल’ की ख़बर प्रमुखता से प्रकाशित किया था। पुनः इस वंशवृक्ष का प्रकाशन एवं लोकार्पण समारोह 26 अगस्त 2021 को दिलदारनगर के संस्थापक कुँअर नवल सिंह उर्फ मुहम्मद दीनदार ख़ाँ की स्मृति में तथा दिलदारनगर के 333 वें स्थापना वार्षिकोत्सव के उपलक्ष्य पर प्रकाशित पुस्तक “स्मारिका मुहम्मद दीनदार ख़ाँ : एक मुग़लिया जागीरदार” के पृष्ठ सं 267 पर प्रकाशित किया गया था। तत्पश्चात इन्टरनेशनल बुक ऑफ रिकॉर्ड ने पिछले कुछ माह से सर्वे करने के बाद विमोचन किए गए 400 वर्षों के वंशावली के संकलनकर्ता को वर्ल्ड रिकॉर्ड ऑफ एक्सीलेंस के रूप में भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के जनपद ग़ाज़ीपुर, दिलदारनगर के मुहम्मद करीम रज़ा ख़ाँ का नाम दर्ज किया। उन्होंने अपने पूर्वजों का 400 साल पुराना पारिवारिक वंशवृक्ष तैयार किया था जिसे इंटरनेशनल बुक ऑफ रिकॉर्ड के वर्ल्ड रिकॉर्ड ऑफ एक्सीलेंस का सम्मान पत्र प्रदान कर सम्मानित किया एवं अपने सोशल साइट्स प्लेटफॉर्म पर प्रकाशित भी किया है। जिसका सर्टिफिकेट, मेडल, एवं प्रशस्ति-पत्र विगत गुरूवार को डाक के माध्यम से प्राप्त हुआ। यह भारतीय हिन्दू-मुस्लिम वंशवृक्ष रोल मॉडल की तरह इतिहासकारों, इतिहास प्रेमियों, शोधार्थियों तथा लोगों में प्रेरणास्रोत बनकर आने वाली पीढ़ी को अपने पुरखों के बारे में जानकारी की जिज्ञासा भरेगी मार्गदर्शन करेगी एवं हमेशा प्रेरित करती रहेगी। इस वंशवृक्ष के अनूठे कार्य पर भारत सहित विश्व में जनपद ग़ाज़ीपुर का मान बढ़ाने वाले शिक्षक करीम रज़ा ख़ाँ के मुहम्मद दीनदार ख़ाँ परिवार, दिलदारनगर क्षेत्र, जनपद ग़ाज़ीपुर, काशी क्षेत्र सहित पूर्वांचल में हर्षोल्लास व्याप्त है।

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