शिवकुमार
गाजीपुर। जिले में पिछड़ों की राजनीति की आशा के किरण के रुप में उभरी हैं नवनिर्वाचित राज्यसभा सदस्य डा. संगीता बलवंत। सवर्णो की पार्टी कहे जाने वाली भाजपा ने डा. संगीता बलवंत को राज्यसभा में भेजकर विपक्ष की बैकवर्ड-फारवर्ड की राजनीति पर पूलस्टाप लगा दिया है। अब डा. संगीता बलवंत के सामने अति पिछड़े समाज को भाजपा के पक्ष में लामबंद करने की एक चुनौती भी है। संगीता बलवंत ने पीजी कालेज गाजीपुर के छात्र संघ से अपना राजनैतिक करियर शुरु किया। इसके बाद वह जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ी, फिर भाजपा में शामिल होकर तत्कालीन रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा के आशीर्वाद से उन्हे 2017 के विधानसभा चुनाव में गाजीपुर सदर विधानसभा से भाजपा ने टिकट दिया। पहली बार संगीता बलवंत के लिए अति पिछड़ा समाज लामबंद हुआ। इस चुनाव में डा. संगीता बलवंत ने सपा प्रत्याशी राजेश कुशवाहा को लगभग 27 हजार मतों से पराजित किया। पार्टी ने पूर्वांचल में अति पिछड़े समाज को लामबंद करने के लिए इन्हे सहकारिता राज्यमंत्री बना दिया। लेकिन 2022 के चुनाव में डा. संगीता बलवंत सपा प्रत्याशी से करीब डेढ़ हजार मतों से पराजित हो गयी। भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने एक बार फिर पूर्वांचल में अति बैकवर्ड को लामबंद करने के लिए डा. संगीता बलवंत पर दांव लगाया। और उन्हे राज्यसभा का प्रत्याशी घोषित कर दिया। जिसमे वह निर्वाचित होकर राज्यसभा सदस्य बन गयीं। भाजपा हाईकमान की नजरे जिले में बिंद, मल्लाह जिसकी संख्या करीब दो लाख है और गाजीपुर लोकसभा में करीब एक लाख 40 हजार मतदाता है। भाजपा ने तो डा. संगीता बलवंत को राज्यसभा सदस्य बना दिया है और अब देखना है कि डा. संगीता बलवंत अति पिछड़े समाज को भाजपा के पक्ष मे कितना लामबंद कर सकती हैं।