शिवकुमार
गाजीपुर। जबसे सांसद अफजाल अंसारी समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार बने हैं तबसे राजनैतिक गलियारों में सुर्खियों में छाये हुए हैं। राजनीतिक पंडितों के अनुसार अफजाल अंसारी समय के साथ-साथ राजनीति के मौसम वैज्ञानिक भी हैं। वह पाला बदलने में भी बिहार के सीएम नीतिश कुमार की तरह माहिर हैं। जब जैसा मौसम देखा हाथी पर चढ़ गये, मौसम बदलते ही साइकिल की सवारी कर ली। अफजाल अंसारी अबतक साइकिल पर तीन बार और हाथी की दो बार सवारी कर चुके हैं। अफजाल अंसारी ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी से की थी। उन्होंने 1984 में पहली बार उत्तर प्रदेश विधान सभा का चुनाव लड़ा और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अभय नारायण राय को 3064 मतों के अंतर से हराया। 1985 से 2002 तक, अफजाल अंसारी ने मुहम्मदाबाद विधानसभा क्षेत्र के लिए विधान सभा के सदस्य के रूप में पांच बार कार्य किया। अफजल अंसारी पर 2004 में लोकसभा आम चुनाव में समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़े और मनोज सिन्हा को करीब सवा दो लाख मतों से पराजित किया। इसके बाद परमाणु नीति पर संसद में सपा का साथ न देने पर उन्हे पार्टी से निकाल दिया गया। अफजाल अंसारी ने हाथी पर सवार होकर बीएसपी के टिकट पर 2009 का आम चुनाव लड़ा लेकिन समाजवादी पार्टी के राधे मोहन सिंह से हार गए। कुछ राजनीतिक मतभेदों के बाद, अंसारी ने बहुजन समाज पार्टी छोड़ दी और कौमी एकता दल नामक एक नई राजनीतिक पार्टी की स्थापना की। 2017-18 में शिवपाल यादव के नेतृत्व में सपा से कौमी एकता दल की दोस्ती हुई लेकिन तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इस दोस्ती को नामंजूर करके कौमी एकता दल से किनारा कर लिया। इसके बाद अफजाल अंसारी ने बहुजन समाज पार्टी के साथ विलय करने से पहले इसके महासचिव के रूप में कार्य किया। अफजाल अंसारी 2019 में बसपा में फिर से शामिल हो गए और गाजीपुर में सपा-बसपा गठबंधन से आम चुनाव लड़ा। उन्होंने तत्कालीन रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा को करीब सवा लाख मतों से पराजित कर दिया। चुनाव जीतने के कुछ ही दिनों बाद अफजाल अंसारी का मोह बसपा से धीरे-धीरे समाप्त होने लगा और 2024 में एक बार फिर से साइकिल की सवारी कर ली। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि अब अफजाल अंसारी के पाला बदलने की नीति को गाजीपुर की जनता कितना सम्मान देती है यह तो आने वाला समय ही बतायेगा।