गाजीपुर। आवारा पशुओं ने किसानों के दिन का चैन और रात की नींद हराम कर रखा है। प्रशासन और प्रशासनिक अधिकारी केवल बयानबाजी कर थोथा दिलाशा दे रहे हैं। उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद की कहानी पूस की रात आज भी गांवों में चरितार्थ हो रही है। अपने खेतों में जुताई, बुआई, सिंचाई, दवाई, उर्वरक छिंटाई कर फसल तैयार करने वाले किसानों की उम्मीदों पर एक दिन या रात में आवारा पशु पानी फेर दे रहे हैं। किसान फोन से,मौखिक या कर्मचारियों के मार्फत प्रशासन को अन्ना पशुओं की सूचना दे रहे हैं लेकिन जिम्मेदार अधिकारी इसके प्रति थोड़े भी संवेदनशील नहीं हैं। मुहम्मदाबाद थाना क्षेत्र के सुल्तानपुर के किसान महीनों से अन्ना पशुओं से परेशान हैं। इसकी सूचना उन्होंने एसडीएम, बीडीओ को दिया, लेकिन उनके स्तर से कोई प्रयास नहीं हुआ। इस बीच दो तिथियां ऐसी भी व्यतीत हुईं जो इन्हें जिलाधिकारी द्वारा दी गईं थीं आवारा पशुओं को लेकर। बुधवार को एकजुट हुए किसानों ने अन्ना पशुओं को एकत्रित कर एक हाते में बंद कर दिया। इसके बाद इन्हें गौशाला में पहुंचाने के लिए गांव में भिक्षाटन भी किया। किसान संघर्ष समिति के संयोजक सुरेश प्रधान ने इस दौरान कहा कि इन पशुओं ने किसानों को खून के आंसू रुलाया है। खेती की लागत इतनी अधिक हो गई है कि किसान कर्जदार हो जा रहा है और उस पर अन्ना पशु फसल बर्बाद कर दे रहे हैं।किसान कैसे कर्ज भरेगा और कैसे अपने परिवार का पालन पोषण करेगा। जिस कार्य में कोई आमदनी नहीं हो उसे अधिकारी कर्मचारी करना नहीं चाहते। अब अन्ना पशु नासूर बन गए हैं और किसान भी किसी तरह के संघर्ष के लिए तैयार हो रहा है।
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