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संतान की दीर्घायु का पर्व जीवित्पुत्रिका, व्रती महिलाओं ने श्रद्धाभावपूर्वक मनाया

गाजीपुर: हिंदू धर्म में संतान की दीर्घायु और खुशहाल जीवन के लिए किए जाने वाले व्रतों में जितिया व्रत का विशेष महत्व है। इस पर्व के अवसर पर व्रती महिलाओं ने अपने नजदीकी पोखरों, तालाबों,नदियों के घाटों के किनारों पर पूजा अर्चना कर मनायी।इस बात को लगभग सभी लोग जानते हैं कि जितिया पर्व तीन दिन तक चलता है।इस त्योहार की शुरुआत सप्तमी तिथि पर नहाय खाय के साथ होती है, जिसमें महिलाएं स्नान के बाद पूजा का सात्विक भोग बनाती हैं, जबकि दूसरे दिन अष्टमी को निर्जला व्रत किया जाता है और नवमी तिथि पर इसका पारण किया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार,आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को महिलाएं जितिया यानी जीवित्पुत्रिका व्रत का निर्जला उपवास रखती हैं इस वर्ष 06 अक्टूबर 2023 को यह पर्व मनाया जा रहा है।ऐसी मान्यता है कि जो भी माताएं इस व्रत को करती हैं, उनकी संतानों को दीर्घायु और खुशहाल जीवन का वरदान मिलता है।जीवित्पुत्रिका व्रत को देश के विभिन्न हिस्सों में जिउतिया, जितिया, जीवित्पुत्रिका,जीमूतवाहन व्रत जैसे अलग-अलग नामों से जाना जाता है।मुख्य तौर पर उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड जैसे राज्यों में इस त्योहार को पूरे श्रद्धाभाव से मनाया जाता है। बता दें कि संतान की लंबी उम्र के लिए रखे जाने वाला यह व्रत निर्जल और बहुत कठिन होता है, जिसे महिलाएं बड़े ही श्रद्धाभाव से करती हैं।प्रचलित मान्यताओं के अनुसार, इस व्रत को महाभारत काल से रखा जा रहा है।कहा जाता है कि जब द्रोणाचार्य का वध हो गया था तब उनके बेटे अश्वत्थामा ने क्रोध में आकर ब्रह्मास्त्र चला दिया था, जिसके चलते अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा के गर्भ में पल रहा शिशु नष्ट हो चुका था।इसके बाद अभिमन्यु की पत्नी ने यह व्रत किया और श्रीकृष्ण ने उनके शिशु को फिर से जीवित कर दिया। कहा जाता है कि तब से महिलाएं अपने बच्चों की लंबी उम्र के लिए यह व्रत करती आ रही हैं।

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