शिवकुमार
गाजीपुर। नगरपालिका गाजीपुर के अध्यक्ष पद के चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार शरीफ राईनी ने नाम वापसी के अंतिम समय में नामांकन पत्र वापस लेकर सियासत को गरमा दिया। इस अवसर का फायदा लेने के लिए सपा-बसपा हर संभव प्रयास कर रही है, दोनों दलों के नेता मुस्लिमों का हिमायती बनकर ज्यादा से ज्यादा मुस्लिम मत अपने पाले में लोने का प्रयास कर रहे हैं। वहीं भाजपा बदली हुई राजनीतिक परिस्थितियों पर नजर रखे हुए है। परोक्षरुप से हुए ध्रुवीकरण की क्षति से डैमेज को कंट्रोल करने के लिए सियासी शतरंज बिछा रही है। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि शरीफ राईनी के पर्चा वापस लेने से मुस्लिम वोट एकतरफा सपा या बसपा को जा सकता है। इसलिए सपा-बसपा के नेता मुस्लिमों का हिमायती बनने का हर अवसर ढ़ूंढ रहे हैं जिससे कि मुस्लिम मत ज्यादा से ज्यादा संख्या में उनके पाले में आ जाये। वहीं भाजपा मुस्लिम वोट में भी पसमांदा समाज के जरीये सेंध लगाने का रणनीति बना रही है। ज्ञातव्य है कि पसमांदा समाज से योगी सरकार में राज्य मंत्री दानिश की गाजीपुर पड़ोसी जनपद के कारण उनके समाज पर जबरदस्त पकड़ है। भाजपा पसमांदा समाज और गरीब तबके के मुसलमानों को अपने पाले में लाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। राजनीतिक पंडितों का कहना है कि शरीफ राईनी केवल कुजडा़ वर्ग के नेता हैं, बसपा से टिकट कटने के बाद मुस्लिम समाज उनके उपर शत-प्रतिशत भरोसा नही कर सकते हैं। नगरपालिका गाजीपुर में सबसे ज्यादा वैश्य समाज, दूसरे नंबर पर मुस्लिम मतदाता हैं। सपा, बसपा और भाजपा के रणनीतिकार अपने पाले में लाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। अब देखना है कि मतदान 4 मई के दिन मुस्लिम समाज में बिखराव होता है कि ध्रुवीकरण होगा यह आने वाला समय बतायेगा।