ग़ाज़ीपुर। अमर शहीद शेख भिखारी की शहादत दिवस गाजीपुर पसमांदा मुस्लिम महाराज गाजीपुर के तत्वाधान में शेख भिखारी के शहादत दिवस पसमांदा पहल के संपादक डॉक्टर इकबाल अंसारी के आवास पर बैठक संपन्न हुई। बैठक को संबोधित करते हुए समकालीन सोच के संपादक राम नगीना कुशवाहा ने कहा कि 1887 के महान स्वतंत्रता संघर्ष में तमाम राजा रजवाड़ों के साथ सवर्ण, पिछड़े तथा दलितों ने भी अपनी शहादत दी। उसमें पसमांदा मुस्लिम भी पीछे नहीं रहा। ऐसे ही वीर सपूतों में शेख भिखारी का नाम भी इतिहास में अंकित है। शेख भिखारी टिकैत उमराव सिंह के दीवान थे। शेख भिखारी रणक्षेत्र में कुशल सेनापति थे। देश में अंग्रेजों से मुक्ति की भावना जोर पकड़ रही थी, जगह-जगह अंग्रेजों पर हमले शुरू हो गए थे। शेख भिखारी और उमराव सिंह भी देश के मुक्ति संग्राम में कूद पड़े। चुहुपाली घाटी में 8 जनवरी 1858 को हुए संग्राम में छल-कपट, मक्कारी से पकड़ कर बरगद के पेड़ से लटका कर फांसी दे दिया। वह पेड़ और स्थान हमें आज भी प्रेरणा देता है। ऐसे सपूत को हम अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।साहित्यकार मनोज कुमार ने कहा कि वर्तमान समाज में पूंजीवाद व समाजवाद की कड़ी को जोड़ते हुए दलित व पिछड़ों को शेख भिखारी के विचारों व जीवन से प्राप्त अनुभवों को अग्रसारित करने की जरूरत है। पसमांदा मुस्लिम महाज के जिला अध्यक्ष फैयाज अहमद शाह ने कहा कि आज शेख भिखारी के शहादत के अवसर पर समस्त शोषित, वंचित पसमांदा समाज शिक्षित बने, संगठित हो और संघर्ष करें ताकि बेहतर समाज का निर्माण हो सके। शेख भिखारी के प्रति यही सच्ची श्रद्धांजलि होगी। बैठक में मुख्य रूप से महिला डिग्री कॉलेज गाज़ीपुर के प्रोफेसर सन्तन कुमार राम, प्रोफेसर निरंजन यादव, डॉ0 बालेश्वर विक्रम, डॉ0 वसीम अख्तर, मनोज कुमार यादव, अब्दुल रहमान राइनी, लड्डन साहब, बदरे आलम इदरीसी, जयराम कुशवाहा, मनोज यादव, सलमान सईद, शाहीन आलम, पारसनाथ यादव, वकील राम आदि उपस्थित रहे। श्रद्धांजलि सभा की अध्यक्षता पसमांदा पहल के संपादक डॉ0 इकबाल अंसारी ने किया।
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