गाजीपुर। ब्रह्मस्थल परिसर देवकली मे मानस सम्मेलन के दूसरे दिन संगीतमय प्रवचन करते हुए भोपाल मध्यप्रदेश से आयी हुई देवी रत्नमणी जी ने कहा अंधाधुंध पेङ पॊधे काटे जाने से मानव जीवन के असतित्व पर संकट के बादल मङराने लगे हॆ।वृक्ष से हमें फल फूल,इमारती लकङी के साथ ही साथ शुध्द हवा मिलती हॆ,इनके अभाव मे प्राकृतिक संतुलन बिगङने से दैवीय आपदा का प्रकोप बढ रहा हॆ। सनातन धर्म सबसे प्रचीन धर्म हॆ।इसकी जङे गहरी हॆ।विदेशी तत्वॊं द्वारा बार बार हमला करने के बावजूद जिन्दा हॆ।आज का युवा पश्चिमी सभ्यता की ओर भाग रहा हॆ जो पतन का कारण हॆ। शिव बिबाह पर चर्चा करते हुए कहा कि तारकासुर के अत्याचार से देवता त्रस्त थे।शिव जी की समाधि भंग करने के लिए कामदेव को भेजा। कामदेव को शिव जी भष्म कर दिया।रोते बिलखते शिव के पास आकर श्राप दिया की देवताओं के कहने पर हमारे पति ने समाधि भंग किया उनका क्या दोष।जिस पार्वती के कारण मेरे पति को जलाया गया ।पार्वती को पुत्र नही होगा न तो वह पालन पोषण कर पायेगी। शिव बारात व बिबाह पर बिस्तृत प्रकाश डालते हुए गीत प्रस्तुत किया जिससे सभी लोग भाव विभोर हो गये। इस अवसर पर बबलू वर्मा, दयाराम गुप्ता, त्रिलोकीनाथ गुप्ता, संजय श्रीवास्तव, विबोध मॊर्य, अजय मॊर्य, नरेन्द्र कुमार मॊर्य आदि लोग प्रमुख रुप से मॊजूद थे। अध्यक्षता प्रभुनाथ पाण्डेय व संचालन अरविन्दलाल श्रीवास्तव ने किया।
