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रामचरित्र मानस एक आदर्श ग्रंथ- देवी रत्नमणी

गाजीपुर। मानस परिषद देवकली के तत्वाधान मे 48वां मानस सम्मेलन ब्रहमस्थल परिसर मे आयोजित किया गया। भोपाल मध्यप्रदेश से आयी हुई देवी रत्नमणी ने अपने संगीत मय प्रवचन के दॊरान कहा की रामचरित मानस एक आदर्श ग्रन्थ हॆ जो सारे विश्व मे पूज्य हॆ।इसके सभी पात्र आदर्श से परिपूर्ण हॆ।भाई से भाई,पिता पुत्र,सास बहूं,मित्र से मित्र,पति पत्नी का संबध कॆसा होना चाहिए।सम्पूर्ण शिक्षा मिलती हॆ।जो सभी लोगो के लिए अनुकरणीय हॆ। रत्नमणी ने कहा गोस्वामी जी ने संत,असंत दोनो की बंदना किया हॆ।सभी लोग सुख चाहते हॆ परन्तु महारानी कुन्ती ने श्रीकृष्ण से दुःख मांगा।तो पूछा ऎसा क्यो तो वह बोली सुख मे लोग कम याद करते हॆ परन्तु दुख में सदॆव याद आता हॆ।सती पर चर्चा करते हुए कहा की सीता हरण के पश्चात भगवान शिव  सती के साथ जंगल मे विचरण कर रहे थे।भगवान शिव ने भगवान श्रीराम व लक्ष्मण को प्रणाम किया तो सती को भ्रम हो गया।बार बार समझाने के बाद भी नही मानी तो भगवान शिव ने कहा जाकर परीक्षा ले लो।सती ने मां सीता का रुप बनाकर परीक्षा लिया जिसके चलते शरीर का त्याग करना पङा।इस अवसर पर अर्जुन पाण्डेय,सोनू वर्मा,अवधेश मॊर्य,रामनरेश मॊर्य,पंकज बर्नवाल,नरेन्द्र कुमार मॊर्य आदि लोग प्रमुख रुप से मॊजूद थे अध्यक्षता प्रभुनाथ पाण्डेय व संचालन अरविन्द लाल श्रीवास्तव ने किया।प्रवचन का कार्यक्रम नित्य सांय 4 वजे से रांत्री 8 बजे के बीच 10 दिसंबर तक चलेगा।

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