शिवकुमार
गाजीपुर। यूपी में पंचायत चुनाव और 2027 में विधानसभा चुनाव को देखते हुए भाजपा संगठन ने होमवर्क शुरू कर दिया है। भाजपा के रणनीतिकारो का मानना है कि पहले 2022 के विधानसभा चुनाव में जिन मतदाताओ के चलते हमें नुकसान हुआ है उसको कंट्रोल करने का भरपूर प्रयास किया जाये। उसी के कड़ी में सीएम योगी ने बहराईच में राजभर बिरादरी के महापुरूष महाराजा सुहेलदेव के मूर्ति का अनावरण करते हुए उनकी कोटि-कोटि प्रशंसा की। सीएम योगी के बयान से एक बार फिर राजभर मतदाताओ में जोश जगा है। अब देखना है कि यह जोश कबतक कायम रहेगा। ज्ञातव्य है कि वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी सपा के साथ गई और उसका नुकसान बीजेपी को उठाना पड़ा. दावा किया जाता है कि यूपी में करीब 30 विधानसभा सीटों और 10 लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों पर राजभर जाति का असर है. लगभग 4 फीसदी मतों के साथ कई सीटों पर राजभर मतदाता निर्णायक होते हैं! सुभासपा नेताओं का दावा है कि राज्य के 18 जिलों में उनकी जाति का असर है. इनमें वाराणसी, चंदौली, गाजीपुर, जौनपुर, मऊ, बलिया, आजमगढ़, देवरिया, बस्ती, गोरखपुर, कुशीनगर, महाराजगंज, सिद्धार्थनगर, बस्ती, संतकबीरनगर, अयोध्या, बहराइच और श्रावस्ती शामिल है! बता दें जब सुभासपा ने भारतीय जनता पार्टी नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन यानी एनडीए से नाता तोड़ा उसके बाद वर्ष 2022 में जब दोबारा सरकार बनी तब पार्टी की ओर से अनिल राजभर को योगी सरकार में मंत्री बनाया गया. ऐसे में बीजेपी भी इस बात से बखूबी वाकिफ है कि चुनावी राजनीति में राजभर समाज उसके लिए कितना जरूरी है. बीजेपी ने राजभर समाज से सकलदीप राजभर को राज्यसभा भी भेजा था. वर्ष 2018 से वर्ष 2024 तक वह राज्यसभा के सदस्य रहे.! बीजेपी की कोशिश है कि वर्ष 2022 के चुनाव में सुभासपा की गैरमौजूदगी का जो असर, पूर्वांचल की सीटों पर दिखा था, वह दोबारा न हो. अब यह देखना दिलचस्प होगा कि भारतीय जनता पार्टी, राजभर मतों को खुद से कितना जोड़ पाती है और बीजेपी की इन कोशिशों का लाभ उसके सहयोगियों को कितना लाभ मिलता है!