गाजीपुर। सत्यदेव ग्रुप आफ कॉलेजेस के प्रबंध निर्देशक प्रोफेसर सानंद सिंह जी के निर्देशन में सत्यदेव इंटरनेशनल स्कूल के प्रांगण में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस को बहुत ही उत्साह पूर्वक मनाया गया।मुख्य अतिथि के रूप में सत्यदेव ग्रुप आफ कॉलेजेज की निदेशिका डॉ प्रीति सिंह जी की गरिमामय उपस्थिति रही।सर्वप्रथम सत्यदेव इंटरनेशनल स्कूल के प्रधानाचार्य चंद्रसेन तिवारी, उप प्रधानाचार्य आवेश कुमार एवं सीसीए कोऑर्डिनेटर शिवांगी सिंह तथा सभी महिला अध्यापिकाओं ने पुष्प गुच्छ तथा अंग वस्त्रम भेंट कर आदरणीय डॉ प्रीति सिंह का स्वागत किया। तत्पश्चात डॉ प्रीति सिंह ने विद्यालय की सभी अध्यापिकाओं तथा महिला कर्मियों को अंग वस्त्रम प्रदान कर अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि महिला दिवस हर साल 8 मार्च को मनाया जाता है और इसका उद्देश्य महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करना और उन्हें सम्मान देना है। महिलाओं ने इतिहास में हर क्षेत्र में अपनी छाप छोड़ी हैं, चाहे वह शिक्षा हो, राजनीति हो, विज्ञान हो या खेल का मैदान।नारी केवल एक शब्द नहीं, बल्कि संपूर्ण सृष्टि का आधार है। वह जीवनदायिनी है, प्रेम की मूर्ति और रिश्ते कायम रखने और उसको संवारने वाली एक मजबूत कड़ी है। घर में महिलाओं की मुस्कुराहट उस घर मे खुशहाली का प्रतीक होता है। भारतीय संस्कृति में नारी को शक्ति, ममता, और त्याग का स्वरूप माना गया है। उन्होंने आज के वर्तमान परिवेश की महिलाओं को खास करके बच्चियों को एक महत्वपूर्ण संदेश देते हुए कहा की बच्चियों को एकल परिवार को बढ़ावा नहीं देना चाहिए बल्कि उन्हें संयुक्त परिवार को लेकर चलना चाहिए इससे पारिवारिक शक्ति, आत्म बल और समृद्धि मे वृद्धि होती है। प्रत्येक महिला को हमेशा संयुक्त परिवार को कायम रखने का कोशिश करते रहना चाहिए ।संगीत के अध्यापक अभिमन्यु यादव ने अपने गीत ” हर घर को तुम स्वर्ग बना दो। हर आंगन को फुलवारी ।तुम पर बड़ी जिम्मेदारी ।मेरे देश की बहनों तुमको देख रही दुनिया सारी ” गाना प्रस्तुत कर सभी महिलाओं को इस गीत के माध्यम से उन्होंने बधाई एवं शुभकामनाएं दी। तत्पश्चात सत्यदेव इंटरनेशनल स्कूल के प्रधानाचार्य चंद्रसेन तिवारी ने महिला दिवस की बधाई देते हुए कहा कि हमारे शास्त्रों में कहा गया है-
यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्रदेवताः।
यत्रैतास्तु न पूज्यन्ते सर्वास्तित्राफ लाः क्रिया: ।।
यानी जहां पर नारी का सम्मान होता है, वहां देवताओं का वास होता है और जहां इनका आदर नहीं होता वहां सभी क्रियाएं निष्फल हो जाती हैं। यह दिन नारी शक्ति और महिलाओं की उपलब्धियों को सलाम करने का है। महिला दिवस का दिन हमें नारी की हर छोटी-बड़ी लड़ाई को सम्मान देने और उनके सपनों को पंख देने का मौका देता है। यह दिवस हमें महिलाओं द्वारा समाज में दिए गए योगदान, उनके संघर्ष तथा उनके सामने आने वाली चुनौतियों का याद दिलाता है कि वह हमारे लिए कितनी खास हैं। भारत में आजादी के बाद लगातार सुधारों से महिलाओं को पुरुषों की तरह सशक्त बनाया गया है। वह आज स्वावलंबी और स्वतंत्र है। इसीलिए अब कहा जाने लगा है कि भारतीय महिलाओं की सीमाएं आकाश की तरह अंतहीन हो गई है।आधुनिक दौर में महिला एक पूर्ण चक्र है उसके भीतर सृजन, पोषण और परिवर्तन की असीम शक्ति है। उन्होंने अंत में ‘नारी होती है महान’ कविता को प्रस्तुत कर भारत के संपूर्ण नारी जगत को तथा उपस्थित सभी महिलाओं को शुभकामनाएं प्रेषित किये l