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18 अगस्त 1942 को नंदगंज रेलवे स्टेशन पर अंग्रेजों और क्रांतिकारियों के बीच चली थी 170 राउंड गोलियां, 80 लोग हुए थे शहीद

एम खालिद शमीम नंदगंज

गाजीपुर। 18अगस्त को नंदगंज की क्रांति को आज भी याद करते है लोग ,आज तक उन शहीदों की याद में नहीं बना शहीद स्तंभ। 9,अगस्त को गांधी जी के करो या मरो के आह्वान पर 18अगस्त 1942 को  स्वतंत्रता की लड़ाई में नंदगंज क्षेत्र के  वीर सपूतों का नाम बड़े सम्मान से लिया जाता है। 18 अगस्त 1942 को यहां के क्रांतिकारियों ने पहले नंदगंज थाने में तिरंगा फहराने की योजना बनाई लेकिन तत्कालीन नंदगंज थानाध्यक्ष वी.एस. पांडेय की दोहरी चाल की वजह से क्रांतिकारियों ने नंदगंज रेलवे स्टेशन पर खड़ी मालगाड़ी के 52 डिब्बे लूट लिए। इसकी सूचना पर मौके पर पहुंचे अंग्रेजों और क्रांतिकारियों के बीच 175 राउंड गोलियां चलीं जिसमें कुछ गुमनाम शहीद हुए तथा कई सेनानी घायल हो गए थे। सबसे दुःख इस बात का है कि आज तक इन शहीदों की स्मृति में नंदगंज में शहीद स्तंभ तक नहीं बनवाया जा सका है। अगस्त क्रांति का ऐलान होने के बाद नंदगंज क्षेत्र के लोगों का भी खून खौल उठा था। समाजसेवी बाबू भोला सिंह के नेतृत्व में जलंधर सिंह, नैसारा के रामधारी यादव, मैनपुर के श्याम नारायण सिंह, करंडा के बचाई सिंह और बलुआ के रामपरीखा सिंह, कुर्बान सराय के जुनैद आलम, मुश्ताक अहमद ने 17 अगस्त 1942 की रात में नंदगंज थाने पर तिरंगा फहराने की योजना बनाई। 18 अगस्त की सुबह सभी क्रांतिकारी एक जगह इकट्ठा होकर नंदगंज थाने पर कब्जा करने के बाद तिरंगा झंडा फहरा दिया। तत्कालीन थानाध्यक्ष वी.एस. पांडेय ने क्रांतिकारियो  से स्टेशन पर खड़ी मालगाड़ी की ओर इशारा कर लोगों को उसे लूटने के लिए प्रेरित कर दिया। भीड़ मालगाड़ी की ओर बढ़ गई। रेलवे स्टेशन को क्रांतिकारियों ने आग लगाने के बाद रेलवे पटरी को उखाड़ दिया। वहां से गुजर रही मालगाड़ी में अंग्रेजी सेना का हथियार एवं रसद लदा हुआ ,जो पटरी उखाड़ने के कारण रुक गई। क्रांतिकारी डोमा लोहार ने छेनी हथौड़े से मालगाड़ी के सभी डिब्बों में लगे तालों को काट डाला और क्रांतिकारियों ने ट्रेन के रखे अनाज को गांवों में बंटवा दिया। स्टेशन से पूरब की तरफ तीन किलोमीटर दूर पुलिया तोड़ दिए जाने से रेल मार्ग अवरुद्ध हो गया था। उसे ठीक करते हुए अंग्रेज भी मौके पर पहुंच गए। थानाध्यक्ष ने दोहरी चाल चली। उसने डीएम तथा एसपी को इसकी सूचना दे दी। मौके पर अंग्रेजों की भारी फोर्स पहुंच गई और गोलीबारी होने लगी। दर्जनों लोगों को पुलिस ने कतारों में खड़ा करके गोलियों से भून डाला। उल्लेखनीय है कि 18 अगस्त सन् 1942 की गोलीकांड के संबंध में जनपद में कुल 80 लोगों के शहीद होने की पुष्टि भारत छोड़ो आंदोलन की स्वर्ण जयंती के अवसर पर मुंबई दूरदर्शन ने प्रसारण के जरिए किया था। इतनी बड़ी घटना के बाद भी नंदगंज अब तक उपेक्षित रहा है। शहीदों की याद में बने शहीद स्मारक इंटर कॉलेज में कोई स्मृति स्तंभ तक नहीं है, बल्कि इंदिरा गर्ल्स हॉयर सेकेंडरी स्कूल में एक स्तंभ लगा है। लेकिन उपेक्षित होने के कारण उस पर भी जलंधर सिंह को छोड़कर देवकली ब्लॉक के अन्य स्वतंत्रता सेनानियों का नाम मिट चुका है। 18अगस्त को शहीदों की याद में कोई आयोजन नही होता है जिसका मलाल क्षेत्र के लोगो को रहता है ।लोगो ने शहीदों की याद में नंदगंज में शहीद स्तंभ  बनवाने की मांग शासन की है।

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