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विश्व पर्यावरण दिवस 2025: भारत का रियल एस्टेट सेक्टर बना हरित बदलाव का आधार

गाजीपुर। प्लास्टिक प्रदूषण को खत्म करने के थीम के साथ इस साल विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जा रहा है। दुनियाभर में स्थिरता को लेकर गंभीर पहल हो रही है, और भारत का रियल एस्टेट सेक्टर इस बदलाव में एक अहम भूमिका निभा रहा है। हर साल दुनियाभर में 430 मिलियन टन से अधिक प्लास्टिक का उत्पादन होता है, जिसका एक बड़ा हिस्सा कचरे और महासागरों में चला जाता है। ऐसे में हर उद्योग से यह अपेक्षा की जा रही है कि वे अपने पर्यावरणीय प्रभाव पर पुनर्विचार करें। रियल एस्टेट सेक्टर की भूमिका इसमें अनोखी है—यह जहां वैश्विक कार्बन उत्सर्जन का लगभग 40% हिस्सा है, वहीं इसके पास इस प्रवृत्ति को उलटने की भी सामर्थ्य है। भारत, जो दुनिया के सबसे तेज़ी से बढ़ते रियल एस्टेट बाज़ारों में से एक है, की जिम्मेदारी और भी बड़ी है। जैसे-जैसे देश 2050 तक 400 मिलियन से अधिक लोगों के शहरीकरण की तैयारी कर रहा है, आज जो ढांचा तैयार हो रहा है, वही कल के कार्बन फुटप्रिंट को तय करेगा। यही वजह है कि भारतीय डेवलपर्स अब जलवायु संबंधी संवाद के केंद्र में हैं। सौभाग्य से, कई डेवलपर्स पहले से ही हरित निर्माण पद्धतियों को अपना रहे हैं, IGBC (इंडियन ग्रीन बिल्डिंग काउंसिल) और EDGE (एक्सीलेंस इन डिज़ाइन फॉर ग्रेटर एफिशिएंसीज़) जैसी सर्टिफिकेशन को अपनाते हुए, और प्रकृति-सम्मत शहरी विकास के लिए प्रतिबद्ध हो रहे हैं। नाइट फ्रैंक इंडिया के अनुसार, 2024 में 35% से अधिक नए प्रोजेक्ट लॉन्च ग्रीन-सर्टिफाइड थे, जो 2020 में केवल 12% थे। इस बदलाव को दिशा देने वाले प्रमुख चेहरों में से एक हैं सिग्नेचर ग्लोबल—भारत के अग्रणी रियल एस्टेट ब्रांड्स में से एक। मिड-इनकम और प्रीमियम हाउसिंग पर फोकस करने वाली यह कंपनी स्थिरता को अपने संचालन के केंद्र में रखती है। सिग्नेचर ग्लोबल के को-फाउंडर एवं वाइस चेयरमैन श्री ललित अग्रवाल ने कहा, “ग्रीन सोच हमारे लिए शुरुआत से ही प्राथमिकता रही है। 2025 में, हम अपने ‘गो ग्रीन’ विज़न को और व्यापक बना रहे हैं, जिसके तहत गुरुग्राम और हमारी सभी परियोजनाओं में 25,000 से अधिक पेड़ लगाए जा रहे हैं। हमारी अधिकतर परियोजनाएं IGBC या EDGE सर्टिफाइड हैं। हमारे लिए स्थिरता कोई बाद की सोच नहीं, बल्कि डिज़ाइन, योजना और क्रियान्वयन में पहले दिन से ही शामिल है। डेवलपर्स के रूप में यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम सिर्फ आज नहीं, बल्कि धरती के लिए निर्माण करें।” वैश्विक स्तर पर भी रियल एस्टेट सेक्टर में एक बड़ा बदलाव देखा जा रहा है। मैकिंजी की एक रिपोर्ट के अनुसार, जो कंपनियां ESG प्रथाओं को अपनाती हैं, वे न सिर्फ जलवायु परिवर्तन के प्रति अधिक लचीली होती हैं, बल्कि उन्हें निवेशकों का अधिक विश्वास और दीर्घकालिक लाभ भी प्राप्त होता है। अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) का अनुमान है कि वैश्विक तापमान को 1.5°C से नीचे बनाए रखने के लिए आवश्यक उत्सर्जन में 20% से अधिक की कटौती ‘बिल्ट एनवायरनमेंट’ यानी निर्मित पर्यावरण से ही संभव है। कृष्णा ग्रुप और क्रिसुमी कॉरपोरेशन के चेयरमैन श्री अशोक कपूर ने कहा, “भारत के ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में हाउसिंग सेक्टर की हिस्सेदारी 30 प्रतिशत से भी ज़्यादा है , इसलिए यह आवश्यक हो जाता है कि हम ऐसे निर्माण को अपनाएं जो विकास को प्रोत्साहित करते हुए स्थायी जीवनशैली को बढ़ावा दें। भारत ने 2070 तक नेट-ज़ीरो का लक्ष्य तय किया है, और इसमें रियल एस्टेट उद्योग को अग्रणी भूमिका निभानी होगी।” उन्होंने आगे कहा, “सतत विकास  क्रिसुमी  के  दर्शन का मूल है। हमारे प्रोजेक्ट पर्यावरणीय प्रभाव को न्यूनतम करने वाले आर्किटेक्चरल सिद्धांतों और इको-फ्रेंडली विशेषताओं के साथ डिज़ाइन किए जाते हैं। यह प्रतिबद्धता न केवल पारिस्थितिक संतुलन को बढ़ावा देती है, बल्कि निवासियों के लिए समग्र जीवन अनुभव को भी बेहतर बनाती है।” भारत के लिए भावी दृष्टिकोण में नेट-ज़ीरो के लक्ष्य की दिशा में रियल एस्टेट और बुनियादी ढांचा क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। महाराष्ट्र, हरियाणा और गुजरात जैसे राज्य स्थायी निर्माण के लिए उन्नत ढांचे के साथ अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं। जैसे-जैसे विश्व प्लास्टिक प्रदूषण और उत्सर्जन को समाप्त करने की दिशा में तत्काल कार्रवाई की पुकार कर रहा है, भारत का रियल एस्टेट सेक्टर भी अपनी भूमिका को फिर से परिभाषित कर रहा है—पर्यावरणीय दबाव का स्रोत होने से लेकर समाधान का एक केंद्रीय हिस्सा बनने तक। विश्व पर्यावरण दिवस 2025 सिर्फ चुनौतियों की याद नहीं, बल्कि बेहतर निर्माण के अवसरों का उत्सव भी है।

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