डा प्रशान्त राय
गाजीपुर। कोविड-19 से ठीक होने के बाद लोगों में लगातार अलग-अलग किस्म की जानलेवा बीमारियां सामने आ रही है। जो बीमारियां कभी सामान्य हुआ करती थी अब जुकाम होने पर भी खतरा बन गया है। कोविड-19 महामारी (covid-19 pandemic) और डेंगू-मलेरिया (dengue-malaria) के बढ़ते मुद्दों के बीच निपाह वायरस का डर लोगों में फैलने लगा है। कोरोना वायरस से कितना अलग है निपाह वायरस: अगर दोनों वायरस की तुलना की जाए तो संक्रामकता के मामले में निपाह कोरोना के मुकाबले कम तेजी से फैल रहा है जबकि मृत्युदर की बात करें तो निपाह के चलते मृत्यु दर कोरोना की तुलना में कम ही है। दूसरी तरफ अगर इसके शरीर पर इफेक्ट की बात करें तो कोरोना वायरस से संक्रमित व्यक्ति केवल फेफड़ों के चलते ही ज्यादा परेशान होता है जबकि निपाह वायरस की चपेट में आने वाले व्यक्ति के दिमाग में सूजन आ सकती है और वो कोमा में भी जा सकता है। अध्ययनकर्ताओं ने बताया निपाह वायरस के मुख्यरूप से दो प्रकारों के बारे में पता चलता है जिसमें मलेशिया और बांग्लादेश स्ट्रेन प्रमुख है। मलेशिया स्ट्रेन के कारण संक्रमित व्यक्ति से दूसरे को संक्रमण होने का खतरा कम देखा जाता रहा है, हालांकि बांग्लादेश स्ट्रेन के कारण इसका जोखिम अधिक हो सकता है और इसके एक से दूसरे व्यक्ति में तेजी से बढ़ने का जोखिम भी अधिक रहा है। निपाह वायरस के संक्रमण के कारण मृत्युदर 40-70 फीसदी के बीच देखा जा रहा है, जिसके कारण स्वास्थ्य विशेषज्ञों की चिंता और भी बढ़ गई है। निपाह आमतौर पर जानवरों से या दूषित भोजन के माध्यम से मनुष्यों में फैलता है, लेकिन यह सीधे लोगों के बीच भी फैल सकता है। फल और चमगादड़ इस वायरस के प्राकृतिक वाहक हैं और इन्हें बाद के प्रकोपों के सबसे संभावित कारण के रूप में पहचाना गया है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, निपाह का संक्रमण किसी को भी हो सकता है, हालांकि इसमें भी शरीर के रोग प्रतिरोधक क्षमता की बड़ी भूमिका होती है। जिनकी इम्युनिटी कमजोर होती है उनमें संक्रामक रोगों का खतरा अधिक हो सकता है। निपाह वायरस के लक्षणों को पहचान कर ही बचाव किया जा सकता है क्योंकि अब तक इसका कोई इलाज नहीं मिल पाया है. इस वायरस से संक्रमित होने वाले व्यक्ति को सबसे पहले तेज बुखार, सिर में दर्द होने लगता है गले में खराश होना, खांसी होना, ज्यादा नींद आना, कमजोरी औऱ थकान महसूस होना, मांसपेशियों में दर्द होना इसके आम लक्षण है। इस बारे में स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, निपाह का संक्रमण भी कोरोना की ही तरह से एक से दूसरे में तेजी से हो सकता है। संक्रमित व्यक्ति के शरीर के स्राव जैसे मूत्र, रक्त और नाक या छींक से निकली बूंदों के सीधे संपर्क में आने से स्वस्थ व्यक्तियों में इसका खतरा हो सकता है। यही कारण है इन दिनों केरल में देखे जा रहे ज्यादातर संक्रमित स्वास्थ्य देखभाल कर्मचारी हैं। अगर स्थिति गंभीर हो जाए तो मरीज को सांस लेने में दिक्कत होने लगती है और दिमाग में सूजन की स्थिति आ जाती है जिससे व्यक्ति कुछ दिनों में कोमा में भी जा सकता है। वर्तमान में निपाह वायरस (NiV) संक्रमण के लिए कोई लाइसेंस प्राप्त उपचार उपलब्ध नहीं है । उपचार सहायक देखभाल तक सीमित है, जिसमें आराम, जलयोजन और लक्षणों के उत्पन्न होने पर उनका उपचार शामिल है।