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दैनिक जीवन में ध्यान मुद्रा का योग अपनाकर रहे निरोग- जितेंद्र नाथ राय

गाजीपुर। श्री रामचंद मिशन हार्टफुलनेस मेडिटेशन सेंटर के जिला प्रभारी जितेंद्र नाथ राय ने पूर्वांचल न्‍यूज डाट काम को बताया कि श्री रामचंद्र मिशन के अंतर्गत सहज मार्ग पद्धति इसे हार्टफुलनेस मेडिटेशन के नाम से जानते हैं इसकी साधना तीन चरणों में पूरी होती है पहले है ध्यान… दूसरा है सफाई …और तीसरा है प्रार्थना. . 24 घंटे में हमें सिर्फ ध्यान के लिए सुबह आधा घंटा ….शाम को 15:20 मिनट सफाई.  के लिए और रात को सोते वक्त 5 मिनट प्रार्थना के लिए देना होता है और इन प्रक्रियाओं को प्रेम पूर्वक करने से निश्चित रूप से हम तनाव मुक्ति के साथ-साथ जो मनुष्य जीवन का वास्तविक लक्ष्य है आत्म साक्षात्कार की तरफ बढ़ते हैं शुरुआती दौर में हम बहुत कम समय में ही हमें शांति और संतुलन की दशा में अपने को महसूस करने लगते हैं और यदि साधना नियमित और निरंतर रखी जाए तो निश्चित रूप से हम अपने को हर परिस्थिति में संतुलित रख पाएंगे साधना में हम ध्यान में हृदय में ईश्वरीय प्रकाश का विचार लेकर बैठते हैं और यह ख्याल हम आधे घंटा तक बनाए रखते हैं कि हमारा हृदय ईश्वरीय प्रकाश से भरा हुआ है इसी विचार में निरंतर बने रहने को ही इस पद्धति में ध्यान बोला गया है किसी विषय पर निरंतर सोचते रहना ही ध्यान कहलाता है भौतिक रूप से भी यदि किसी विषय पर हम सोच रहे हैं तो निश्चित रूप से हम ध्यान कर रहे हैं. लेकिन आध्यात्मिक रूप से आत्मिक रूप से ध्यान करने का एक अलग ही आनंद है इसमें हम सीधे-सीधे उस परम स्रोत से जुड़ते हैं जिस स्रोत से हमारा अवतरण हुआ है और हमें निरंतर गति से ऊर्जा मिलती रहती है. यह प्रणाहूति पर आधारित साधना पद्धति है . यह एक दिव्य ऊर्जा है जो हम लोगों के हृदय में प्रवाहित होती है उसे मार्गदर्शक के द्वारा जो इस समय ग्लोबल गाइड श्री कमलेश पटेल जी जिन्हें हम प्रेम से पूज्य दा जी कहते हैं और हम प्रशिक्षक के तौर पर अपने सेंटर पर कार्य कर रहे हैं उनके देखरेख में  पद्धति की बारे में बताते हैं और ध्यान सीखते हैं  दूसरी प्रक्रिया होती है सफाई की जैसे हम बाहरी सफाई करते हैं  अपने कपड़े धोते हैं कमरे साफ करते हैं शरीर की सफाई करते हैं उसी प्रकार से हमें अंदर की सफाई का भी उतना ही ध्यान रखना है अंदर की सफाई जब तक नहीं होती तब तक बाहरी  सफाई से सिर्फ काम नहीं होने वाला है हम मानसिक रूप से कितने व्यथित हैं उनके क्या कारण है यह संस्कार और छापे जो बनी हुई है उनको बाहर निकलना बहुत जरूरी होता है इसलिए हम सफाई में अपनी इच्छा शक्ति का प्रयोग करते हैं और शाम को हम 15 ..20 मिनट के लिए बैठते हैं और आंख बंद करके हैं सब काम धाम से निवृत होने के बाद अपने घर पर और महसूस करते हैं कि हमारे अंदर जो भी स्थूलता  छापे या जड़ता है या ऐसी तमाम नकारात्मक विचार है जो हमारी आत्मिक उन्नति में बाधक है  हमारे शांति और संतुलन में बाधक है वह सब पीठ पीछे से धुएं और वाष्प के रूप में हमारे मेरुदंड के  तरफ से बाहर निकल रहे हैं में तथा हमारे सामने से दिव्य प्रकाश हमारे हृदय में भर रहा है यह 15 ..20 मिनट की प्रक्रिया है इसको हम इच्छा शक्ति से अपने होश में आंख बंद करके  करते हैं इसके बाद हम महसूस करेंगे कि इतने करने के बाद हम अपने में अंदर काफी हल्का महसूस करते हैं सुकून महसूस करते हैं . तीसरा है प्रार्थना बेड टाइम पर इसके बारे में.. आगे बताऊंगा।

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