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रोजेदारों को अफ्तार कराना, गरीबों-बेसहारो की मदद करने वालो से खुश होते हैं अल्लाह पाक

जमानियां। मुल्क की तरक्की वी आपसी भाईचारगी के लिए महिलाओं ने अल्लाह पाक से दुआ मांगती रोजेदार को इफ्तार कराना और गरीब एवं बेसहारा की मदद करने से अल्लाह तआला बहुत खुश होते हैं। और अपने बंदों को इसका इनाम देते हैं। यूं तो माह ए रमजान का पूरा महीना ही बरकतों वाला है। मगर कुछ खास चीजों का एहतराम किया जाए तो रोजेदारों को बेशुमार सवाब मिलता है। जो शख्स रोजेदार को इफ्तार कराता है अल्लाह उसे बेशुमार सवाब देता है। हदीस में इस बात का जिक्र किया गया है कि जो लोग रोजेदारों को खुशी-खुशी इफ्तार कराते हैं तो कयामत के दिन मोहम्मद साहब उसके इनाम के लिए सिफारिश करेंगे। मौलाना जहाना बेगम ने बताते हुए। कहा कि एक दफा कुछ लोग अल्लाह के रसूल मोहम्मद साहब के पास आए और पूछा कि जो गरीब हैं। और रोजेदार को इफ्तार कराने की हैसियत में नहीं हैं वे कयामत के दिन आपके सिफारिशों से महरूम रह जाएंगे। इसका फायदा उन्हें होगा जो अमीर होंगे, वह ज्यादा से ज्यादा रोजेदारों को इफ्तार कराकर सिफारिशों के हकदार बन जाएंगे। जवाब में मोहम्मद साहब ने कहा इफ्तार का मतलब यह नहीं है कि किसी को भर पेट खिलाया जाए बल्कि रोजेदार को एक खजूर या एक घूंट पानी पिला देगा तब भी उसे वही दर्जा मिलेगा। मैं तो उसकी सिफारिश करूंगा ही साथ ही अल्लाह तआला भी उसे बेशुमार सवाबों से नवाजेगा। उन्होंने कहा कि अल्लाह तआला के दरबार में कोई अमीर गरीब नहीं होगा। बल्कि उनका कद ज्यादा ऊंचा होगा जिसने अल्लाह और उनके रसूल के बताए तरीके पर चलना होगा। आरजू बानो ने रोजे की अहमियत पर रोशनी डालते और बताते हुए। कहा कि जब लोग रोजा रखते हैं। तो ईमान की पुख्तगी ही खाने पीने से बचाती है। किसी को पता नहीं चल सकता कि आप रोजा रखते हुए कुल्ली करते वक्त पानी हलक के नीचे उतार लें। या छिपकर कोई चीज खा लें। यह ईमान की पुख्तगी है कि रोजेदार खुद ही खाना पीना छोड़ देता है। और उसका जेहन खुद ब खुद अल्लाह की तरफ हो जाता है। रोजेदार की पूरी कोशिश होनी चाहिए कि माह ए रमजान के महीने में ज्यादा से ज्यादा इबादत करें और झूठी बातोें से बचें। उन्होंने कहा कि इसके साथ ही गरीब, मजबूर और बेसहारा लोगों की मदद के लिए भी आगे आएं। रोजेदार भूखे प्यासे इंसान की हालत बेहतर समझ सकता है। इसलिए उसके अंदर गरीबों एवं मुफलिसों के प्रति हमदर्दी का जज्बा पैदा होता है। मुसलिम बहुल क्षेत्रों में दिन और रात जिन चाय की दुकानों और बिरयानी कार्नर पर भीड़ लगा करती है। दुकानों पर सारा दिन सन्नाटा रहने के बाद शाम को जो रौनक लौटती है वह देर रात तक रहती है। अम्मी द्वारा रोजेदारों के लिए तरह-तरह के पकवान बनाती हैं। खासतौर पर मुस्लिम इलाके क्षेत्रों में मिलने वाले शिरमाल कबाब की खरीदारी बढ़ती जाती हैं। शाम ४ बजे से किचन में पंहुचकर इफ्तार के लिए खास तरह का इंतजाम करती है। और समय होते ही रोजेदारों के लिए तरह-तरह के पकवान बनाए गए पकवान को परोसी जाती है। देश प्रदेश की तरक्की तथा आपसी सौहार्द व भाईचारगी कायम रहे। मुस्लिम रोजेदारों ने दोनों हाथ उठाकर अल्लाह पाक से दुआ मांगती गुलशन बानो, रौशन बानो, आरजू व अकशा, जहाना बेगम।

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