गाजीपुर। सीटू के दो दिवसीय राज्य सम्मेलन का द्वितीय सत्र लहुरी काशी पैलेस में आरम्भ हुआ जिसमें महामंत्री प्रेम नाथ राय ने महामंत्री रिपोर्ट पेश की और बताया कि नवउदारवादी आर्थिक नीतियों के कारण 2008 के बाद से लगातार वैश्विक महामन्दी जारी है और इसी का फायदा उठाते हुवे तमाम पूंजीपति ताकते सत्ता में आ गयी और पूरे विश्व भर में अपने मुनाफे को बढ़ाने के लिए मजदूर वर्ग और आम जनमानस का आर्थिक शोषण बढ़ गया है। पूंजीवादी ताकतों के बढ़ते प्रभाव की वजह से कई सारे देशो में मजदूर आन्दोलनों का ठोस उभार भी प्रभाव में आया है। कोविड-19 की महामारी एक बेहद दुःखद घटना है और विश्वभर के देशों के स्वस्थ के ऊपर बजट खर्च की पोल पट्टी खोलने वाली परिघटना थी। जहाँ कुछ समाजवादी देश इस बीमारी से ढंग से उभरने में सफल रहे वहीं हमारे देश की सत्ता ने इस आपदा को अवसर में बदलने की पुरज़ोर कोशिश की। जहां कोविड में करोङो मजदूर बेरोजगार हो गए, लाखो मजदूर सड़को पर अपने घर पहुँचने की जद्दोजहद में मारें गए और उसी दौरान हमरी सरकार ने श्रम बिल और किसान बिल के कानूनी माध्यम से पूंजीपतियों की जेब भरने का भरकस प्रयास किया है। सरकार जो यह उद्योगपतियों की जेब भरने का काम कर रही है उसकी कीमत मजदूर और किसान अपनी जान देकर चुका रहें हैं। सम्मेलन को संबोधित करते हुवे सीटू के अखिल भारतीय सचिव साथी अमिताभ गुहा ने कहा कि आज की तारीख में जनतंत्र और गणतंत्र के ऊपर जितना बड़ा खतरा आज के समय मे बैठ कर ऐसे विधेयक पारित कर रहें है जिससे मज़दूर, कर्मचारी आम जनता और पूरी की पूरी मेहनतकश वर्ग का शोषण कर उसका मुनाफा सीधे सीधे उद्योगपतियों के पास जाए। पूरे देश मे विरोध की आवाज़ को दबाया जा रहा है जिसमे सरकार ने धारा 144 से लेकर तमाम कानूनों का हवाला देकर न जुलूस करने दे रहें हैं नाही धरना जोकि एक तरह से हमारी स्वतंत्रता पर सीधा सीधा हमला है। हमारे सरकार प्रतिनिधि जेनेवा की बैठक बोल के आते हैं कि श्रम कानूनों में यह संशोधन मजदूरों के खिलाफ कर रहें है। उन्होंने कहा कि यह एक अंधा युग चल रहा है लेकिन निजीकरण के खिलाफ उत्तर प्रदेश बिजली कर्मचारियों का आंदोलन, किसान बिल के खिलाफ किसानों का ऐतिहासिक आंदोलन और ऐसे ही कुछ आन्दोलनों ने प्रकाश करने का काम किया है। सीटू राष्ट्रीय सचिव साथी एआर सिंधु ने बताया कि आज 7 नवम्बर अक्टूबर क्रांति का दिन है और आज के दिन हम इस सम्मेलन के माध्यम से सभी मजदूर वर्ग किसान वर्ग, साथ ही साथ असंगठित क्षेत्र के मजदूरों को एकजुट करके समग्र आंदोलन की आवश्यकता है। तत्पश्चात विभिन्न जिलों और सम्बध यूनियनों के प्रतिनिधियों ने महामंत्री रिपोर्ट पर और संगठन के बारे में अपनी बात रखी जिसमे राम सिंह, अवधराज सिंह, सत्यपाल सिंह, सुरेंद्र सिंह, निशिकांत मिश्रा, एसपी सिंह, अविनाश मिश्रा, शोविन्द सिंह, सूरज पाण्डेय, सुरजीत मुखर्जी, सुधकांत गौड़, भैयालाल, पवन तांबे, अजय चौरसिया, मयंक श्रीवास्तव, एनके सिंह, हेमंत कौशिक, प्रमोद गौड़, राजकुमार शर्मा, रामआसरे, आशुतोष त्रिपाठी, रविन्द्र सिंह, किरण कुमार रघुबंशी, मो०खालिद, सुरेंद्र सिंह, छेदी यादव, भूरी सिंह यादव, राजेश रावत सहित तमाम साथियों से अपनी अपनी बात रखी और महामंत्री रिपोर्ट को समर्थन दिया। इसके बाद तमाम प्रस्ताव लिए गए जिसमे कौशलेंद्र पाण्डेय द्वारा सम्प्रदायिकता के खिलाफ, बिना गुप्ता द्वारा स्किम वर्कर्स पर, आरएम राय द्वारा आगामी बजट सत्र में मजदूर किसान रैली को सफल बनाने का, शेषनाथ तिवारी द्वारा श्रम संहिताओ के खिलाफ, सुरेंद्र सिंह द्वारा महंगाई के खिलाफ, शिवाकांत मिश्रा द्वारा चीनी उद्योग की स्थिति एंव श्रमिको की समस्याओं पर तथा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के निजीकरण के प्रयास के विरुद्ध प्रस्ताव पेश हुए और पारित हुआ। केडेंशियल कमेटी की रिपोर्ट साथी शेषनाथ तिवारी ने पेश की तत्पश्चात नई कमेटी का चुनाव हुवा जिसमे- 49 सदस्यीय कमेटी का चयन हुआ जिसमें 17 राज्य पदाधिकारी व 32 कार्यकारिणी सदस्य चुने गए। जिसमें साथी रविशंकर मिश्रा प्रदेश अध्यक्ष, साथी प्रेमनाथ राय प्रदेश महामंत्री व साथी हेमंत कुमार सिंह कोषाध्यक्ष चुने गए।
विवरण निम्नवत है
अध्यक्ष- रविशंकर मिश्रा
उपाध्यक्ष- बिना गुप्ता, देवाशीष, विशम्भर सिंह, एसपी सिंह, कौशलेंद्र पाण्डेय, नीरज श्रीवास्तव
महामंत्री- प्रेम नाथ राय
मंत्री- शेषनाथ तिवारी, चमन आरा, विमेश कुमार मिश्रा, अजीत सिंह, विकास स्वरूप, आरएम राय, आदित्य कौशिक
कोषाध्यक्ष- हेमंत कुमार सिंह
सदस्य कार्यसमिति- मीनाक्षी खरे, प्रताप यादव, अरुण सिंह, सुरेंद्र कुमार, अविनाश मिश्रा, वीरेंद्र, हेमन्त कौशिक, शशि सिंह, संगीता, केके त्रिपाठी, उर्मिला, राकेश वर्मा, अवधराज सिंह, नवल सिंह, मो०खालिद, निशिकांत मिश्रा, मयंक श्रीवास्तव, मोहन सिंह एवं पवन तांबे सर्वसम्मति से चुने गए। दूसरे दिन का कार्यक्रम की अध्यक्षता साथी रवि शंकर मिश्रा और संचालन साथी विशम्भर सिंह ने किया।