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माह-ए-रमजान : रोजा अफ्तार मस्जिदों से लेकर घरों में दावते अफ्तार शुरू

गाजीपुर। इस्लाम का पवित्र महीना रमजान शुक्रवार 24 मार्च से शुरुआत हो गई। माह ए रमजान के बाद ईद का त्योहार मनाया जाता है, माह ए रमजान में मुस्लिम बन्धु रोजा रखते हैं। बुजुर्गों सहित नवजवान बालिका व बालिकाओं के साथ नन्हे मुन्ने बच्चें भी रोजा रखने व अल्लाह का इबादत करना सीखते है। बताया जा रहा है। कि इस पाक महीने मुस्लिम भाई बहन ना सिर्फ रोजे रखते हैं, बल्कि सच्चे दिल से अल्लाह की इबादत भी करते हैं. इसके साथ ही रोजेदारों को अफ्तार भी कराते है। हाजी जनाब वसीम मंसूरी ने बताया कि सेहरी और इफ्तार के समय का कैलेंडर हो जाता है। खुद को खुदा की राह में समर्पित कर देने का प्रतीक पाक महीना ‘माह-ए-रमजान’ न सिर्फ रहमतों और बरकतों की बारिश का वक्फा है। बल्कि समूचे मानव जाति को प्रेम, भाईचारे और इंसानियत का संदेश भी देता है। उन्होंने कहा कि मोमीन भाइयों के लिए माह ए रमजान का महीना सबसे पाक महीना माना जाता है। हाजी ने बताया कि इस पाक महीने में सेहरी और इफ्तार का खास ख्याल रखते हैं। नगर कस्बा व स्टेशन बाजार सहित ग्रामीण क्षेत्रों के मुस्लिम इलाको के रोजेदारों के लिए इस्लामिक कैलेंडर जारी हो गया है। मेहरून ने बताया कि माह ए रमजान 24 मार्च से शुरू हो गया है। रोजेदारों के लिये तरह तरह की हल्की पकवान बनाई जाती है। माह ए रमजान में सूर्योदय से पहले किए गए भोजन पकवान को सेहरी कहते हैं और सूर्योदय के बाद किए गए तरह तरह के व्यंजन को इफ्तार कहा जाता है। माह ए रमजान के पाक महीने में रोजेदार के लिए सबसे महत्वपूर्ण यह है। कि सही समय पर सेहरी और इफ्तार किया जाए। उन्होंने बताया कि सेहरी के बाद दिनभर कुछ भी खाना-पीना वर्जित होता है। शाम को नमाज अदा करने के बाद सूर्यास्त होने पर इफ्तार किया जाता है। रोजेदार ने बताया कि रोजेदारों के लिये समय से पहले अफ्तार के लिये तरह तरह की व्यंजन की पकवान बनाकर रोजा खोलने के लिये दश्तरखान पर परोसती है। ठीक उसी तरह सेहरी वक्त के लिये हल्का पकवान बनाई जाती है।

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