गाजीपुर। बीएचयू के सुप्रसिद्ध नेत्र चिकित्सक प्रोफेसर डा. आरपी मौर्य ने बताया कि होली में रंग खेलते समय सावधानी बरते नहीं तो आंखों की रोशनी चली जायेगी। उन्होने बताया कि लोग होली के मस्ती में एक-दूसरे को रंग-गुलाल लगाते हैं और हुड़दंग करते हैं। रास्ते में गुजरने वालों या ट्रेन-बस में यात्रा करने वाले यात्रियों पर किचड़ रंग फेंकते हैं। लोगों की थोड़ी सी असावधानी से खुशियों का त्योहार मातम में बदल जाता है। मार्केट में खतरनाक रसायनयुक्त गुलाल जिसमे मरकरी, क्रोमियम व शीशी या लेड आक्साइड मिला होता है जिससे त्वचा व आंखों में एलर्जी हो जाती है। यदि रंग-गुलाल आंखों के अंदर चला जाता है तो व्यक्ति के आंख में कन्जेक्टिवाइटिस हो जाता है जिससे आंख में लाली, खुजली जलन, गड़न होने लगता है। आंखों से पानी व किचड़ आने लगता है। आंख में अबीर-गुलाल जाने पर लोग आंखों को रगड़ने लगते हैं। ऐसा करने से आंख की कार्निया में अल्सर या घाव हो जाता है। अल्सर का समय से इलाज न होने पर व्यक्ति स्थाई रुप से अंधा हो सकता है। रंग भरे गुब्बारे आंख पर लगने पर आंख चोटिल हो जाती है और रक्तश्राव होने लगता है। आंखों का पर्दा खिसक सकता है। चोट जनित समन्वाई भी हो सकती है। डा. मौर्य ने बताया कि आंखों में रंग चला जाये तो पर्याप्त मात्रा में साफ पानी से धोएं। अबीर-गुलाल के बड़े कड़ को स्वच्छ रुई से निकालने का प्रयास करें। तत्काल नजदीकी नेत्र चिकित्सक से मिले। कभी भी पुरानी आंख के ड्राप का प्रयोग न करें। आंख में घरेलू इलाज जैसे घी, गुलाब जल आदि न डालें।
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