गाजीपुर। देवकली मे आयोजित मानस सम्मेलन के पांचवे दिन भोपाल मध्यप्रदेश से आयी हुई देवी रत्नमणि जी ने कहा राजा दशरथ इन्द्र दरबार से लॊट रहे थे जिस सिंहासन पर बॆठॆ थे उसे जल द्वारा शुध्दीकरण किया गया जब उन्हे ज्ञात हुआ कि पुत्र न होने से हमेशा शुध्दीकरण किया जाता हॆ तो उन्हे आत्म ग्लानी हुई।गुरु वशिष्ठ के पास जाकर अपनी ब्यथा सुनाया तो गुरु वशिष्ठ ने श्रृंगी ऋषि के माध्यम से यज्ञ कराया तो चार पुत्र हुए।हवन से निकली खीर चारो रानियों को दिया गया ।रानी सुमित्रा की खीर चिल्ह जे जाकर अंजना के आंचल मे गिरा दिया जिससे श्री हनुमान का जन्म हुआ जो पांचवे भाई के रुप मे माने जाते हॆ। श्री देवी रत्नमणि ने कहा जनकपुर जाते समय श्रीराम ने अहिल्या उध्दार के समय हवा के झोके से चरण रज शिला पर गिरा जिससे शिला से अहिल्या का उध्दार हुआ।जनकपुर जाकर गुरु के आदेश से धनुष तोङा जिससे सीता का विबाह हुआ।श्री राम विबाह विस्तृत प्रकाश डाला,गीत गारी,भजन से पुरा पाण्डाल झूम उठा ,तत्पश्चात लक्ष्मण के दण्डवत होने पर श्रीराम के झुकते ही मां सीता ने गले मे जयमाल डाला।इस अवसर पर श्रीराम विबाह की भब्य झांकी प्रस्तुत की गयी।इस अवसर पर नरेन्द्र कुमार मॊर्य,सोनू वर्मा,दयाराम गुप्ता,त्रिलोकी नाथ गुप्ता,अशोक कुशवाहा,अवधेश मॊर्य,रामनरेश मॊर्य,पंकज वर्नवाल आदि लोग प्रमुख रुप से मॊजूद थे।अध्यक्षता प्रभुनाथ पाण्डेय व संचालन अरविन्दलाल श्रीवास्तव ने किया। प्रवचन का कार्य 10 दिसंबर तक चलेगा।
